Rupesh Singh Lostom 22 Jun 2023 कविताएँ समाजिक लौटूंगा जरूर 6822 0 Hindi :: हिंदी
एक दिन आशमा पे छाउँगा जरूर बनके तूफान लौटूंगा जरूर मिटा दूंगा मगरूर घमंड का घमंड फानूस बनके कहर ढाउंगा जरूर हमने तो जलना ही सीखा हैं तूफान तू क्या जला पायेगा अपने लपटों के आंच से हमने बहुत सहे हैं बिन बादल वरसात इस बार लहरों पे ही आशियाँ बनाएंगे माना की थोड़ा हम पिछड़ गए तू थोड़ा आगे निकल गया लेकिन ऐसा नहीं की तू जित गया और मैं हार गया बात अलग हैं की मैं गिर गया और तू गिर के संभल गया राह के पत्थर को चूरघमंड चूर होना चाहिए प्रहार एक हो पर जोरदार होना चाहिए वो सिर्फ डर जाये ये काफी नहीं उसे मेरे सामने मजबूर होना चाहिए