Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मूलतत्व 23058 0 Hindi :: हिंदी
काल रूपी सयम से बक्त भी लाचार है समय के इस चक्र से हर कोई अंजान है जिस दिन बदल गया माहाकाल के स्थिरता चारो ओर विनाश होगा बस बचेंगा बस राख राख़ रुक जाओ ठहर जाओ और थोड़ा सम्भल जाओ मूलतत्व को विनाश करता ये दानव रूपी इंश