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ज़िन्दगी-अब जा के महसूस हुआ रेत के जैसी है ज़िंदगी

DINESH KUMAR KEER 01 Feb 2024 शायरी समाजिक 3443 0 Hindi :: हिंदी

फ़िसलती ही चली गई, एक पल, रुकी भी नहीं;
अब जा के महसूस हुआ, रेत के जैसी है ज़िंदगी।

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