हाथों की तकदीर भी धोखा देती हैं ।
जो हो नही सकता वो भी करने का मौका देती हैं ।
उमेठती है कान जब मुफलिसी तब ।
तकदीर ही शिखर तक पहुचा देती हैं ।
हाथों की तकदीर भी धोखा देती हैं ।
जो हो नही सकता वो भी करने का मौका देती हैं ।
उमेठती है कान जब मुफलिसी तब ।
तकदीर ही शिखर तक पहुचा देती हैं ।