संदीप कुमार सिंह 10 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4294 0 Hindi :: हिंदी
अधिकार के लिए प्रखर होना होगा, हड़प वाले को जवाब देना होगा। अभी भी वक्त है जागो मेरे दीन, आगे बढ़ो अपनी बातों को रखिए। चुप बैठने से हक नहीं मिलता यहां, पुरजोर रूप से शक्ति दिखाना पड़े। जीवन में अब सब साधन हो ठान लो, अपने उत्कर्ष के लिए प्रयास करें। आज विश्व सुख साधनों से सुरभित है, हम भी अपने प्राण को सुरभित कर लें। चाँद पर भी अब लोगों की जमीन है, कम से कम हम धरा पर भी जमीन लूं। यहां विशाल इमारतों की लाइन है, हम कम से कम एक मकाँ तो बना लूं। मानव होकर भी पीछे रहना नहीं, प्रगति को अब गले लगा कर चलना है। चाहत के रंग में रंगीन हम बनूं, अपनी आभा को यहां प्रकाशित करूं। अधिकार के लिए प्रखर होना होगा, हड़प वाले को जवाब देना होगा। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....