राकेश 19 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मुसाफिर 14440 0 Hindi :: हिंदी
मुसाफिर तुझे आगे जाना है, दुनिया तेरा नहीं ठिकाना है, बस तुझे यहां सुख शांति आनंद उठाना है, किसी के दिल को नहीं दुखाना है, दुनिया तेरा नहीं ठिकाना है, हंसते खेलते साथ के मुसाफिरों के साथ भाईचारे प्यार से समय बिताना है। दुनिया को अपना कहने वाले को समझता है, आज है, कल दुनिया में अपना नहीं कोई ठिकाना है, मृत्यु से छिपने वाले मूर्ख को समझता है, मृत्यु के वाहन में बैठकर सारे मुसाफिरों को एक-एक करके दुनिया से जाना है।