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तहज़ीब खो गई

Sanwar mal Yadav 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक तहज़ीब खो गई 19116 0 Hindi :: हिंदी

एक स्त्री के लिए स्त्री होना तभी सौभाग्य की बात मानी जाती है जब वह संतानोत्पत्ति कर सकती है लेकिन कुलंगार संतान को जन्म देने से बेहतर है कि वह आजीवन बांझ होने का दंश झेल ले सहीपुर गांव में रमा है उसके पति गोपाल अभावकारी जिंदगी को काटते हुए रह रहे थे ।उनके दो लड़के थे,दोनों पति पत्नी अपने बच्चों का जीवन सुखमय बनाने के लिए दिन रात मेहनत मजदूरी करते बच्चों को अच्छी तालीम दिलाने के लिए विद्यालय में दाखिला दिलवाया। सब कुछ नियति के अनुसार चल रहा था वक्त अपने रथ को मां-बाप की इच्छाओं को पूर्ति करने के साथ सुखमय  जीवन की ओर तीव्र गति से ले जा रहा था उनके दोनों बेटे अच्छी तालीम हासिल करके अच्छे ओहदे पर आसीन हो चुके थे कुछ समय सब कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन वक्त के तेवर पुनः बदलने शुरू हो चुके थे दोनों बेटों ने अपना अपना घर मां बाप से दूर बसा चुके थे इतना होने पर भी मां बाप के वात्सल्य में रत्ती भर भी कमी ना आ पाई लेकिन बेटे मां बाप को राह मिले राहगिर के समान भूल चुके थे।
संतान से बिछोह रमा व गोपाल में कुछ भी शेष ने छोडा और इसके साथ ही गोपाल जी शांत हो गए। बेचारी रमा ने पड़ोसियों की मदद से उनका दाह संस्कार करवाया लेकिन जालिम बेटों को खबर होने पर भी मां-बाप की खोज खबर नहीं ली ।इस घटना ने रमा को भयंकर तरीके से झकझोर दिया था और वह भी अपने काल को न्योता देने लगी वह इसी बीच दिल पर पत्थर रख बेटों को खबर भिजवाई की एक बार अपनी मां को अपना दीदार करवा दो लेकिन बेटे नहीं आए बल्कि वक्त ने रमा को अपना दीदार करवा दिया। उस मां का दिल संतान के लिए बिलख रहा था उस मां का वो आंचल जिसने उनको कड़ी धूप, गिरते पानी, व ठंडी हवाओं से बचाया था, वो भी उनके एक बार स्पर्श के लिए व्याकुल हो रहा था उस मां  ने जाते-जाते भी अपने लबों से अपने बच्चों के लिए सुखमय जीवन की प्रार्थना कर रही थी।
आज इस प्रकार के दृश्य चारों तरफ दिखाई पड़ रहे हैं क्योंकि तालीम तो है लेकिन तहजीब खो गई है।

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