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हमास-इजराइल युद्ध उग्रवादियों के द्वारा सबसे पहले

virendra kumar dewangan 19 Oct 2023 आलेख दुःखद Terror Attack 10871 0 Hindi :: हिंदी

गाजा पट्टी में मौजूद हमास उग्रवादियों के द्वारा सबसे पहले 7 अक्टूबर 2023 को तकरीबन 5000 राकेट लगातार दागकर इजराइल के लोगों को निशाना बनाया गया। 

यही नहीं, जमीन, जल और पैराग्लाइडर से हमास आंतकी इजराइल के अभेद्य समझी जानेवाली सीमा पर घुस गए। उनने 800 से अधिक इजरायली आम नागरिकों को बेरहमी से मार डाला और 120 निवासियों को बंधक बना लिया, जिनमें इजराइली महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग भी हैं। इनमें से कइयों का सिर कलम कर दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार किया और बुजुर्गों को मौत के घाट उतार दिया। 

इससे कुपित व क्रुध इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्याहू ने सौगंध खाते हुए कहा कि हम बदला लेंगे और हमास के खात्मे तक युद्ध जारी रखेंगे। युद्ध शुरू उनने किया है, खत्म हम करेंगे। 

इससे दुनिया एक और युद्ध के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई है और दो हिस्सों में बंट गई है। जबकि हमास एक दुर्दांत आतंकवादी संगठन है, आइएसआइएस से भी अधिक क्रूरतम। इससे यही साबित होता है कि दुनिया अभी तक यह परिभाषित नहीं कर पाई है कि कौन-सा काम व हमला आतंकवादी है और कौन-सा गैर आतंकवादी।

आखिरकार हुआ भी यही, इजराइल अपने बमवर्षक विमानों से हमास के उन ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में लग गया है, जिसमें अतिवादी पनाह लिए हुए हैं। आखिर, इजराइल चुप क्यों न रहे, जिसकी संप्रभुता को ललकारा गया हो और उसके सिर पर जान-बूझ कर युद्ध थोंप दिया गया हो। 

यही नहीं, इजराइल ने गाजापट्टी स्थित इस्लामिक बैंक को भी उड़ा दिया है, जिसमें हमास के उग्रवादियों का रुपया रखा जाता है। इजराइल ने अपने 1 लाख सैनिकों को गाजा पट्टी पर कब्जे के लिए बार्डर पर तैनात कर दिया है और 3 लाख रिजर्व सैनिकों को किसी गंभीर खतरे से निपटने के लिए मुस्तैद कर दिया है।

इस महासमर में डरावनी बात यह कि दुनिया दो हिस्सों में बंटती नजर आ रही है। हमास के समर्थन में जहां ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कुवैत, कतर लेबनान, सीरिया, जार्डन, रूस व चीन आ गए हैं, वहीं इजराइल के समर्थन में भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान, आस्टेªलिया, यूरोपीय यूनियन व यूएई आए हैं। वहीं इस्लामिक मुल्क सउदी अरब और तुर्किए तटस्थ नजर आ रहे हैं।

इससे दुनिया कोरोना संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद एक नई त्रासदी में फंसती नजर आ रही है; क्योंकि जिस मध्य-पूर्व एशिया में युद्ध की विभीषिका बढ़ रही है, वहां दुनिया का 80 प्रतिशत से अधिक तेल व गैस का उत्पादन होता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को चलायमान रखने के लिए बेहद जरूरी ईधन माना जाता है।

यही नहीं भारत सहित दुनियाभर में समर्थक दो भागों में बंटते नजर आ रहे हैं। भारत में जहां भारत की निर्वाचित सरकार इजराइल के समर्थन में खड़ी है, वहीं कांग्रेस पार्टी सहित इस्लाम समर्थक फिलीस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। इसी तरह जामिया-मीलिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली,  जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम विवि के छात्र फिलीस्तीन के समर्थन मे ंनारेबाजी कर रहे हैं और रैलियां निकाल रहे हैं।

समर्थन की खबरें तब और भी खतरनाक हो गई है कि जब हमास के समर्थन में दो बड़ी महाशक्तियां चीन और रूस खड़े नजर आ रहे हैं। जबकि हमास, तालिबान, अलकायदा, बोकोहराम, जैश-ए-मोहम्मद व अलकायदा आदि की तरह एक आतंकवादी संगठन है। जिस तरह की बर्बरता हमास ने दिखाया है, वैसी बर्बर कार्रवाई पहले इस्लामिक स्टेट करता रहा है।

आतंकवादियों का जबरदस्त हमला उस देश में हुआ है, जो सैन्यशक्ति, टेक्नोलॉजी, सेल्फ डिफंेस, हथियारों के निर्माण और निर्यात में अग्रणी व आत्मनिर्भर है और जिससे दुनिया आत्मरक्षा के गुर सीखती रही है। 

हालांकि इजराइल की आबादी महज 1 करोड़ है, पर वो ऐसा देश है, जहां मोसाद जैसा जासूसी संगठन है, जो म्यूनिख ओलंपिक के दौरान मारे गए अपने फुटबाल खिलाड़ियों के कातिलों को दुनियाभर में ढूंढ-ढूंढ कर उन्हें उनके अंजामों तक पहुंचाया है।

सवाल यह भी कि इतना शानदार डिफेंस सिस्टम, दमदार जासूसी संगठन, देशभक्त लोग, और टेक्नोलाजी से लबरेज इजराइल का आयरन डोम सिस्टम 7 अक्टूबर को दगा कैसे दे गया, जिस दिन उसकी अस्मिता को ललकारा गया था।

इजरायल और अरब मुल्कों का झगड़ा आज का नहीं, सदियों पुराना है। दोनों के मध्य करीब प्रत्येक दशक में चार-चार युद्ध हो चुके हैं। दरअसल, इजराइल चारों ओर से 20 से अधिक मुस्लिमबहुल आबादी वाले मुल्कों से घिरा हुआ एक मात्र यहूदी धर्मावलंबी देश है। इसकी राजधानी तेल अबीब है यहां का ऐतिहासिक शहर यरुसलम यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के आस्था का केंद्र हैं और जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ का नियंत्रण है।
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