Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

बारिश

Anany shukla 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य स्वप्न मिटाआधारों से बारिश 84805 0 Hindi :: हिंदी

शाम देख कर मन ललचाया 
घर से बाहर जाने को,
वृक्ष गणों की महक उड़ चली
आसमान अपनाने को ।
घर से बाहर निकला तो 
दिखी खूब हरियाली थी ,
आसमान था पीले रंग का 
चिड़ियों की सुर ताली थी ।
काले बादल देख देख 
मन गाने को ललचाया था ,
उडी धूल बन बादल नीचे 
पाने को मचलाया था ।
सुंदरता की हवा चल पड़ी 
आसमान अपनाने को ,
जमीं धूल बन परत अवनि पर 
उर्वी को खुशी दिलाने को ।
टपके कुछ मोती अंगों पर 
जब कुदरत का खेल देख रहा, 
माहौल बनाया उसने जो 
शीतलता से मैं देख रहा ।
नाच उठे तब पेड़ सभी 
पत्ते झिलमिल चमकीले थे ,
हरे गुलाबी भूरे सूखे 
कुछ काले कुछ पीले थे ।
भूरी काली वानर टोली 
पेड़ों पर चढ़ जाती है ,
केले सेव आम अंगूर 
रसीले फल चुन खाती है ।
छाया मन में हर्ष 
कुदरत का स्वागत द्वार देख ,
हरियाली जीवो से निर्मित 
कुदरत का संसार देख ।
मेघों ने ढक आसमान को 
अपना राज्य पसार दिया ,
चमकी जरा लालिमा रवि ने 
अपना रूप निखार दिया।
बड़ी तेज की धूप हुई 
सिर गर्म हुआ अंगारों से ,
पता चला दोपहर हो गई 
स्वप्न मिटा आधारों से ।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: