Anany shukla 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य स्वप्न मिटाआधारों से बारिश 84805 0 Hindi :: हिंदी
शाम देख कर मन ललचाया घर से बाहर जाने को, वृक्ष गणों की महक उड़ चली आसमान अपनाने को । घर से बाहर निकला तो दिखी खूब हरियाली थी , आसमान था पीले रंग का चिड़ियों की सुर ताली थी । काले बादल देख देख मन गाने को ललचाया था , उडी धूल बन बादल नीचे पाने को मचलाया था । सुंदरता की हवा चल पड़ी आसमान अपनाने को , जमीं धूल बन परत अवनि पर उर्वी को खुशी दिलाने को । टपके कुछ मोती अंगों पर जब कुदरत का खेल देख रहा, माहौल बनाया उसने जो शीतलता से मैं देख रहा । नाच उठे तब पेड़ सभी पत्ते झिलमिल चमकीले थे , हरे गुलाबी भूरे सूखे कुछ काले कुछ पीले थे । भूरी काली वानर टोली पेड़ों पर चढ़ जाती है , केले सेव आम अंगूर रसीले फल चुन खाती है । छाया मन में हर्ष कुदरत का स्वागत द्वार देख , हरियाली जीवो से निर्मित कुदरत का संसार देख । मेघों ने ढक आसमान को अपना राज्य पसार दिया , चमकी जरा लालिमा रवि ने अपना रूप निखार दिया। बड़ी तेज की धूप हुई सिर गर्म हुआ अंगारों से , पता चला दोपहर हो गई स्वप्न मिटा आधारों से ।