संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3993 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) शब्द अर्थ को तौलकर, कहिए अपनी बात। सुरभित हों तब जगत में,सुहावना हो रात।। शब्द अर्थ को तौलकर, कहिए अपनी बात। रहिए हरदम मग्न हों, रहे स्वस्थ तब गात।। शब्द अर्थ को तौलकर, कहिए अपनी बात। स्वर्ण शुद्ध हों मोल तब, लगे कीमती जात।। शब्द अर्थ को तौलकर, कहिए अपनी बात। करते पसंद आपको, दुनिया के अभिजात।। शब्द अर्थ को तौलकर, कहिए अपनी बात। बनिए सबके ताज तब,गम से रहे निजात।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....