Pradeep singh " gwalya " 29 Jan 2024 कविताएँ दुःखद Psdrishti.blogspot.com 50234 2 5 Hindi :: हिंदी
ऐ जवानी जरा रुक तो अभी तो तेरी आहट गूंजी ही है, कहना तो बहुत कुछ है तुमसे मन की बात मगर..... अभी तू कहां राज़ी है। ये इल्म तो था कि तू अभिमानी है कदम रखते ही रंग दिखाती है, भूल जाती है कि तेरा फर्ज़ है क्या ..... और कौन तेरा यथार्थ साथी है। सुना है स्वर्ग सी अनुभूति है तेरी तुझे,हमें कब सैर करानी है, हम कहते –कहते थक चुके या फिर.... तू सुनती आत्म रूहानी है। माना कि तू इस्फानी है क्या ही तुझ बिन कहानी है, सब नीरस है इस सफर में मगर..... शायद तू अकेली रासधानी है। लगता तो है कि तू फूल सदाबहार है असल में बरसाती पर सुगंध तेरी नशीली है, उग आती है वक्त पर हर किसी के आंगन में बता मुझे..... क्या मेरी जमीन हुई अब पथरीली है। न मोह सका किसी अजनबी को न कर सका इश्क जवानी में, मांगा तो था समय कई बार मैने तुझसे ऐ जवानी.... क्या तू इससे अनजानी है। मुझे भी घर बसाना है मुझे भी लक्ष्मी लानी है, तू अलविदा कह दे अगर मुझे तो यह केवल मेरी..... कल्पना मात्र रह जानी है। एक ख्वाब बचा है मेरा जिस पर सजग बुद्धि, देह अब भी मेहनतानी है, जिसे पाने की इच्छा में तू सिमट गई शायद तुझे..... मुझ पर बदगुमानी है। तय लक्ष्य था मेरा बचपन से उसमें न किसी की मदद, न रहनुमाई है, वैसे जानती तू सब है ऐ मेरे दोस्त..... अब क्या तुझे नित्य कथा समझानी है। पाना है सच को मुझे झूठ की ब्यथा दरकिनार करनी है, बगैर तेरे यह कार्य मुमकिन नहीं यह तू समझ ले..... क्या अभी तेरा जाना जरूरी है। कुछ बरस ठहर जाए तो अगर तू बस कथा अब पूर्ण होनी ही है, दुखों का बोझ यूं ना बढ़ा एकदम से..... भई तू इतना भी क्या विधानी है। माना कि तेरी अहमियत मैं समझा नहीं पर किस्मत ने की बेईमानी थी, भटक गया था गलियों में मैं उस वक्त भीड़ में ..... जब तू मेरे चौखट आई थी। अब दिल पर पत्थर रखूं तो कितने सपनों की बची कई झांकी है, जाने की बात न कर जवानी समझा कर..... मेरी कहानी तो अभी बाकी है। मेरी कहानी तो अभी बाकी है।। ✍️ प्रदीप सिंह ‘ग्वल्या’
pradeep singh "ग्वल्या" from sural gaon pauri garhwal uttarakhand . education:- doub...