Meena ahirwar 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग कविता 95158 0 Hindi :: हिंदी
मन करता फिर, एक बच्ची बन जाऊँ। कुछ हसींन यादों को , फिर बचपन में पाऊँ।। मेरा रूठना और माँ का मनाना, उन यादों में खो जाऊँ । और दौड़-दौड़ कर, फिर माँ को हंसाऊ।। काश मैं फिर ,एक बच्ची बन जाऊँ मेरे हाथ मैं मिट्टी देख , माँ फिर दौड़ी- दौड़ी आये। मान जा बेटी मिट्टी है, ये कहकर समझाए । । मन करता फिर, उन यादों में डूब जाऊँ ।। काश मैं फिर एक बच्ची बन जाऊँ हाथ में रोटी लेकर माँ, फिर दौड़ी -दौड़ी आये। और बड़े प्यार से राजकुमारी कहकर, रोटी मुझे खिलायें।। काश मैं फिर ,एक बच्ची बन जाऊँ