Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 85926 0 Hindi :: हिंदी
# महुआ के फूल ... आदिवासियों का , है यह जीवन मूल खिलने लगे हैं , अब महुआ के फूल ... तपिश बड़ी , झुलसाती नहीं कहीं , कोई छईआं...! इस मौसम , टप - टप टप - टप , टपके महुआ ...! रस भरे , मद भरे हैं ये फूल , बड़ा ही नशीला ...! गदराया है , इसका बदन ये दिखता , बड़ा ही गदीला ...! मयखाने की ये शहजादी , मधुशाला की मदमस्त जवानी ...! बढ़ती इसकी , बेहद खूबसूरती मिलता जब इसमें , बर्फीला पानी ....! होंटो से लगाते, रस तेरे मद भरे कोई यहां पड़े , कोई वहां पड़े ...! गरीबों का सुकून , अमीरों का जुनून सर पर चढ़ी तो , सब अंधा कानून ...! बनाने वाले ने तो , बना दिया इसे किसने बदनाम किया , दोष दे किसे ...! देखें तुझे जी ललचाए , क्या राजा और फकीरा मादकता भरे तेरे हुस्न, बनती तू है मंदिरा ...! टप-टप टपके महुआ , ये फूल बड़ा ही नशीला आग लगे तन-मन में , बन के उतरे जब मदिरा ...! आदिवासियों का , है यह जीवन मूल खिलने लगे हैं , अब महुआ के फूल ... चिन्ता नेताम " मन " डोंगरगांव (छ.ग.)