संदीप कुमार सिंह 08 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3714 0 Hindi :: हिंदी
इच्छाएं बेअंत है,काबू में रख यार। बेहिसाब रख प्यार को, सुख मय हो परिवार।। इच्छाएं बेअंत है, परम् जरूरी आप। मैं चाहूं जग का भला, करूं मंत्र यह जाप।। इच्छाएं बेअंत है, नयी कराती खोज। साधन सुख का तब बढ़े,खुशियां ही हो रोज।। इच्छाएं बेअंत है, यही प्रकृति की देन। नयी चीज की खोज कर,पहने सुख की चेन।। इच्छाएं बेअंत है,करना नित्य प्रयास। मन में हरदम जोश हो, पूरी होगी आस।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....