Rupesh Singh Lostom 02 Jul 2023 कविताएँ अन्य जलेगा चाँद भी 6202 0 Hindi :: हिंदी
आशमा का रंग बदल रहा थोड़ा थोड़ा पर्वते टूट टूट बिखर रहा थोड़ा थोड़ा लाख पहरे बिठा लो रुत पे वसन्त को क्या डसेगा पतझड़ उसका पता पता बिखर रहा झाड़ झाड़ के थोड़ा थोड़ा अँधेरा लाख हो अंधकार से भरा क्या बो कभी रोक पायेगा सवेरा समां बन के जलेगा चाँद भी क्यों बैठे हो मायुश बने आओ चलो चले हो गया दुनिया जितने का वेरा कुछ दूर साथ साथ चल के देखेंगे कुछ मंजिल बना के देखेंगे गीले सिक्बे मिटा के देखेंगे बस मैं और तू छोटा सा अपना आशिया बना के देखेंगे