Jyoti yadav 31 Oct 2023 कविताएँ समाजिक बेटियां 10828 0 Hindi :: हिंदी
आंगन की रौनक खुशियों का खुमार लिखूंगी कलियों सी खिलने वाली बेटियों का संसार लिखूंगी कहने को तो मां की लाडली और पापा की परी होती है बेटियां फिर क्यों ख्वाहिशें अधूरी और डरी सहमी होती है बेटियां चांद की चमक सुरज की रोशनी कल्पवृक्ष की सुनहरी काया है बेटियां जो लगातें है बंदिशें बेटियों पर वो कैसे भूल जाते हैं जिस जहां में आजाद पंछी बनें है उस जहां को दिखाया है बेटियां अरमान बेटियों के आतिश बने ना जाने पर क्या क्या साजिश बने हर दफा अश्रु बेटियों के ही बारिश बने मतलब की दुनिया में मासूम बेटियों का सार लिखूंगी आंगन की रौनक खुशियों का खुमार लिखूंगी ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर 🙏