Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग तस्कार 20246 0 Hindi :: हिंदी
काश जालिम ने एक तस्वीर दे दिया होता कविता लिखते – लिखते उस की तस्वीर बना लेता काश कुछ देर ठहर जाते वो मेरे निवास में शायद उनको देखकर के जीना मुझे भी आ जाता वा खुदा कसम से क्या बनाया था बनाने वाले ने बनाते – बनाते अजंता के मूर्त बना डाला इतना सुन्दर कि सुन्दरता भी देख के शरमा जये क्या कारीगरी है उस के हाथो में जैसे पूरा कयानात उस मूरत में डाल दिया हो तेरा भी जबाव नही बनाने वाले परमेश्वर तेरी कल्पना इतनी खूब सूरत है तू कैसा होगा तू जैसा भी है मै नही जानता पर तेरी करा मात देखी है तेरी आँखो पर क्या लिखू शायर तो हूँ नही तेरे होठो पर क्या लिखूं ग़ज़ल गायक तो हूँ नहीं जितना आता था लिखना वो सब लिख डाला बाकि क्या लिखूं तू राधा मैं कन्धा तो हु नहीं अगर पसंद आये तो वाह वाह कर देना नही तो स्लाम कर देना मेरी कोशिश पर पढ़ते-पढ़ते गुस्सा आ जाये तो दाँतो तले होठ दबा लेना मारने का मन करे तो आँखो से निशाना साध देना माफ करना मेरी गुस्ताखी पर सजा मत देना अगर डंडित करना भी हो तो नज़र उठा के झुका देना