Sudha Chaudhary 20 Apr 2023 कविताएँ दुःखद 14981 0 Hindi :: हिंदी
लिख रही दोपहर थी ठीक पीछे शाम थी । खुल रही परत परत अंतर वेदना पास थी। चल रही थी कोर कल्पित कल्पना की धार थी । मैं अंधेरी पाठशाला किस बात में खास थी। कह रही थी पीर मेरी चल तू अपने नीड़ में रुक रही है किस लिए चल पड़े सब बिन तेरे। सुधा चौधरी