आदित्य मौर्य'आर्यवंशी' 14 Apr 2023 कविताएँ अन्य 6593 0 Hindi :: हिंदी
कुछ नहीं मैं बस एक सोच के गम में डूबा हुआ हूं। अब क्या करूं मैं तो खुद से ही खुद को समझा रहा हूं। बस लगता हैं उन लोगों को की मैं उनसे दूरी बना रहा हूं। लोग कहते हैं की मैं बदल सा गया हूं, अरे! लोग कहते हैं की मैं बदल सा गया हूं। लेकिन वो क्या जानें की मैं खुद से नही बदला बल्कि उनके द्वारा बदला गया हूं। मुझे तो नही पता की मैं किस मंजिल की तरफ जा रहा हूं। मगर जहां भी जा रहा हूं, साथ एक जलता हुआ ज्ञान का दीपक लिए जा रहा हूं , लिए जा रहा हूं। लेखक- आदित्य मौर्य 'आर्यवंशी'
I am the student of class 10th Amrit Public School situated in Mau District ,Uttar Pradesh 275101...