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यादों के इस मंजर में-यूँ ही जला जा रहा हूँ

Samar Singh 15 May 2023 गीत दुःखद जब किसी का किसी से साथ छूट जाता है, और हर मौसम उसी की याद दिलाये, जीवन में लगता है कोई ठहराव ही नहीं है। 7555 0 Hindi :: हिंदी

यादों के इस मंजर में, 
यूँ ही भटकता चला जा रहा हूँ। 
यादों की लपटें उठती हैं, 
यूँ ही जला जा रहा हूँ। 

कोई कहानी बनके जो छूटे, 
अरमान कोई पत्ते की तरह टूटे। 
यादों की इक गलन में, 
मैं तो जमा जा रहा हूँ। 
यादों के इस....................। 

निगाहें जो देखे बीती तस्वीरें, 
बदले पल- पल में तकदीरें। 
यादों की बहती लू में, 
मैं तो गला जा रहा हूँ। 
यादों के इस.............। 

रचनाकार - समर सिंह " समीर ग"

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