Irfan haaris 06 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरा अस्तित्व मेरी प्रतिष्ठा 7699 0 Hindi :: हिंदी
मैं भारत हूं स्वतन्त्र भारत परन्तु मेरी स्वतन्त्रता की एक पराधि एक सीमा तय कर दी गई है अतिथि देवो भवः सदियों से मेरी परम्परा रही है जो भी शरणार्थी मेरी शरण में आए मैंने उसे पूर्ण स्नेह दिया प्रेम सम्मान दिया उसके अस्तित्व को स्वीकार किया किन्तु किसी भी आगन्तुग ने मुझे या मेरा अस्तित्व नहीं स्वीकारा इसके विपरीत मुझे सदैव ही रुग्ण किया खण्डित किया मेरी प्रतिष्ठा को धूमिल किया मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई इन विभिन्न आगन्तुकों ने