SHAHWAJ KHAN 30 Mar 2023 शायरी समाजिक ज़िन्दगी का हाल, वक़्त की बात , मिल्कियत 89298 0 Hindi :: हिंदी
न उरूज की बात है न जवाल की बात है जिस हाल में है तू उस हाल की बात है। न ज़िन्दगी है तेरी न मौत का पता है रहमों करम है उसका जो होता तुझे आता है। क्या जोड़ कर के आया तू अपनी खलकीयत में दो गज़ ज़मीं है बाकी बस तेरी मिल्कियत में । गुजर चुकी है अब तो क्या मलाल की बात है जिस हाल में है तू उस हाल की बात है। न उरूज की बात है न जवाल की बात है जिस हाल में है तू उस हाल की बात है।