Suraj pandit 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत mother's love 88912 0 Hindi :: हिंदी
कल जैसे थे आज भी वैसे हीं हैं बस फर्क इतना सा हैं कल छोटे थे, आज कुछ बढ़े हों गए हैं। जिन हाथों से उंगलिया थम चला करतें थे। आज उन हाथों में कलम हैं। जिन पैरों पर खड़ा ना हों सकते थे। आज खुद के पैरों पर खड़े होने कि मेहनत हैं। जहाँ अक्षरों का ज्ञान ना था, आज अध्ययन हैं ग्रंथों कि। जहाँ जीवन अंधकार में था, जहाँ यह दुनियाँ कि कल्पना ना कि थीं, आज देख रहा हूँ सुंदरता दुनियाँ कि। कोटि कोटि नमन करता हूँ माँ कों, जिसने सुन्दर सी जीवन दीं। खुद दुःख कि नाव में बैठ, मुझकों काबिल बना दीं। आज मेरे जन्मदिन पर मेरी माँ मेरे साथ हैं और कुछ ना चाहिए दुनियाँ से माँ नें मुझे सब कुछ दीं हैं। --------- सुरज पंडित.