संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी इस कविता को पढ़कर पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 10182 0 Hindi :: हिंदी
एक रात की बात है, सोया मैं था, अचानक सामने कुछ आभास हुआ। चौंक कर मैं उठ बैठा, सामने देखा, एक खूबसूरत बला की सुन्दरी खड़ी है। मैं हर्षित नज़रों से देखता ही रह गया, ओर बेहद रहस्यमय मुस्कान चेहरे पे लाया। परी तो पहले से ही मुस्कुरा रहीं थीं, मुस्कान _मुसकान से टकरा गई। तब एक आवाज बाहर निकला, परी पूछी कैसे हो चिंटू? मैं एक बार पुनः चकरा सा गया, क्योंकि उसे मेरा नाम भी पता था। फिर भी मैं तुरन्त खुशी जाहिर कर कहा ठीक हूं, परी बोली मेरे साथ चलो घूमने। मैं और खुश होते हुए कहा जरुर, लेकिन आप हो कौन? परी बोली मैं स्वर्ग लोक से आई परी हूं, मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं। फिर बोली पहले भी हम दोनों पिछले जन्म में, साथ रह चुके हैं। मैं अति हर्षित हुआ, बोला अवश्य आप के साथ चलूंगा। मैं आके बगल में खड़ा हुआ, अपने पीठ पर लाध कर उड़ गई। ले गई समुंदर किनारे, और वहां के दृश्य साथ मिलकर देखने लगे। इस दरमियान हम दोनों काफी बातचीत किए, एक_दूसरे को और अधिक जाना। अब सुबह पांच बजने वाला था, परी को स्वर्ग लोक वापस जाना था। परी बोली आज से हमदोनों दोस्त हुए, यदा_कदा हम दोनों यूं ही मिलते रहेंगें। मैं बोला निश्चय ही बेशंका के, आपका दिल से स्वागत रहेगा। फिर मुझे वह उड़ा कर घर छोड़ गई, और खुद उड़ते स्वर्ग लोक को चली गई। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....