Raj Ashok 28 Dec 2023 कविताएँ दुःखद कदम 12727 0 Hindi :: हिंदी
कल, जब मैने उसे उदास होते देखा। तब, मन मेरा भी उदास हो गया । खड़ी ,घंटों तक, एक तस्वीर से बतियाते रही। कुछ सवाल थे। थोड़ी शिकायते थी। बस एक बुझती सी सांस मे , बच्चों की जिम्मादारीयाँ कभी बोझ नहीं होती। बस रोक के रखती है। कदम ताकि ,भरोसे और विश्वास का अपना जो कर्तव्य है। निभाया जा सके। रिश्ता अमरता का वो विंरागना आज भी निभा रही है। सुहाग जिसका मातृभुमी को अर्पण उस हदय की पीर अब क्या कोई......