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धूप सुनहरी धूप

Maushami 11 May 2023 कविताएँ अन्य धूप #रूप #जीने#सुनहरी #खुशियों 4649 0 Hindi :: हिंदी

धूप सुनहरी धूप,
पल-पल बदले अपना रूप।
उठ कर निकलो घर से,
बैठे न रहो डर से।
धूप की रौशनी से बन जाए नया सफर,
हो जाए सुहानी सेहत की डगर।
जिंदगी का हर पल हो खुशहाल और आनंदमय,
ना रहे डर, पीड़ा, अवसाद या भय।
हर दिन जिंदगी का हो एक नया आरंभ,
टूटेंगे सब मन के दंभ।
धूप से भरी जिंदगी हो खुशियों से वंचित नहीं,
सोचो इसमें क्या संचित नहीं।
खुशियों की धूप रखो जिंदगी में सदा,
जो सिखाएगी जीने की अदा।
धूप सुनहरी धूप, रहो सदा मस्त और खुशियों के अनुभव से चूर।

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