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प्रेम का रोकना इतना भारी पड़ा

Sudha Chaudhary 15 Jul 2023 कविताएँ अन्य 7386 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम का रोकना इतना भारी पड़ा
वो गजल बनके हमको दिखाएं पड़ा।

साथ अब तक लगाए थे तुमको हमीं
तुमसे अपनी जुदाई भी बताना पड़ा।

गम ने इतने तमाशे किये रात दिन
हमको मेखानै से उठकर जाना पड़ा।

पूछ लो रहबरों से मेरी राह में
कितने अपने परायों को आना पड़ा।

हम तो बातों के कच्चे नहीं थे मगर
उसकी बातों से हमको नहाना पड़ा।

गम की पहली शिकन ऐसे देकर चले
सबसे अपनी मोहब्बत छुपाना पड़ा।

जिंदा रहते हुए जो भी मिल ना सका
मौत से ही सबको जताना पड़ा।

सुधा चौधरी
बस्ती

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