Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य अभिलाषा 18682 0 Hindi :: हिंदी
अभिलाषा थी एक दिन तुझे पा सकू पर एशा हो न सका कुछ लम्होने भी संजोये थे यादें कुछ इकठा हमने भी किए थे सासें समय के तराजू प्यार के मोल थोड़ा काम रहा पर ऐसा बिलकुल नहीं की बक्त ने मुझे हरा दिया हसीन लम्हो को क्या मालूम की उसने क्या किया उसे पाने की इच्छा शक्ति और हिम्मत बढ़ा दिया