संदीप कुमार सिंह 01 May 2023 कविताएँ धार्मिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 63512 0 Hindi :: हिंदी
गुरुवर तेरे चरणों की, मुझे धूल जो मिल जाये, चरणों की रज पाकर,तकदीर बदल जाये।..गुरूवर... मेरा मन बडा चंचल है उसे कैसे मैं समझाऊँ, उसे जितना ही समझाऊँ, उतनाही मचल जाये।...गुरूवर... मेरी नाव भंवर में है, उसे पार लगा देना, तेरे एक इशारे से मेरी नांव उभर जाये।...गुरूवर नजरों से गिराना ना, चाहे जितनी सजा देना, नजरों से गिर जाये, वह कैसे संभल पाये।...गुरूवर... मेरी एक तमन्ना है, तुम सामने हो मेरे, तुम सामने हो मेरे, चाहे प्राण निकल जाये ...गुरूवर... (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....