संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6005 0 Hindi :: हिंदी
चिंता और चिता एक समान ही होते, दोनों में सिर्फ एक बिन्दु का अन्तर है। चिता मरने के बाद शरीर को है जलाती, चिंता उम्र भर शरीर को जलाती रहती है। चिंता से चतुराई घटती है, और कमजोर कर चिता बना देती है। तथापि हमें चिन्ता से बचना चाहिए, खुशियों को अपनाना ही सुखद है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....