Rohit 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 18714 0 Hindi :: हिंदी
बेशक मैं टूट गया हूं, पर बिखरा नहीं अभी तक। दूंगा बदल मैं वक्त को, मैं उजड़ा नहीं अभी तक हालात ए मुश्किल के सागर में, मैं गिर गया हूं बेशक। कर लूंगा मैं पार इसको, डूबा नहीं अभी तक। परिस्थितियां हैं उल्टी जानता हूं, अपने हो गए बेगाने मानता हूं। मैं मोड़ दूंगा वक्त को वापिस, मुश्किल राहों से गुजरना मैं जानता हूं। आज बिछे हैं कांटे राहों में, परवाह मुझे नहीं हैं। खड़ा हूं भीड़ में अकेला, आश्चर्य मुझे नहीं है। बेशक मैं असहाय हूं, निर्जीव तो किन्तु हुआ नहीं। अथक परिश्रम कर लूंगा, मैं सांसों से वंचित हुआ नहीं।