Tulasi Seth 30 Mar 2023 शायरी समाजिक दर्द भरी शायरी 86060 0 Hindi :: हिंदी
जन्नत चाहते चाहते जहन्नुम मुक्कमल हो गई नसीबा खुब खाक झेला हमने जो जीना भी मौत से बद्तर बन गई।
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