Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य अँधेरा 96509 0 Hindi :: हिंदी
सिंदूरी साम में गोधूलि के पहरा बैलों के गले में बजता घंटी चौतरफा सोर गुल और तेरा इस तरह खमोशी से आजाना दम तोड़ता धीरे धीरे रौशनी प्रकाश को निगलता रात के अँधेरा और तेरा इस तरह से जुल्फे लहराना