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उपद्रव

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य उपद्रव 13305 0 Hindi :: हिंदी

उपद्रव करता इंसान से
पृथ्वी माता उग्र हैं 
अर्थ कुपित हैं नारुट हैं 
मैं धरणी के दूत हूँ   
शहर शहर हूँ घूम रहा 
कुछ अरमान कुछ ख्याल लिए 
जज्बातो और बातों में  
तो कुछ कल्पनाओं में उड़न लिए 
जिस धरती के पुत्र हैं हम 
उस धरा के प्रति मान 
और सम्मान लिए
हौशला बुलंद कदमो में रफ़्तार 
थोड़ा सा मुठठी में आश्मान लिए

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