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हौसला कमेकभी भी न-रगों में तूफानों की बिजली हो

संदीप कुमार सिंह 27 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 14207 0 Hindi :: हिंदी

हौसला कमे कभी भी न,
रगों में तूफानों की बिजली हो।
आँखों में हसरतों की हो बरसात,
कामयाबी का अपना भी हो इतिहास।

एक दिन हम भी होंगें राजा,
गरीबों को देंगे हम अवश्य सहारा।
गद्दारों को विभत्स देंगे सजा,
एक अदभुत वातावरण कायम करेंगे।

सुगंधित शब्दों का उपहार देंगे,
दुखियारों का दुख मोल लेंगे।
एक झूठा भय का समूल नष्ट कर देंगे,
आनंद की दुनियाँ सबको देंगे।

जमाने में बहुत है दकियानूसी,
ऐसे दकियानूसी को खत्म करेंगे।
नए विचारों का प्रचार_प्रसार करेंगे,
विश्व के अग्रणी में होगा अपना देश।

एकता ही हमारी है मूल मंत्र,
जिससे सर्वदा ही मजबूत रहे तंत्र।
एकता भंग करने वाले बर्दास्त नहीं होगा,
जन_गण में एकता का ही रंग होगा।

हसीन कल्पना करना जब सब जान जायेंगे,
तो एक दिन स्वर्गों सा अपना भारत होगा।
जिन्दगी बहुत ही है हसीन,
इसको व्यर्थ में नहीं है बिताना।

पहले इरादा जब सख्त होगा,
तभी अपनी जनता भी सबल होगी।
दमन करने वालों को धूल चटा देगी,
फिर दिव्य रोशनी का आगमन होगी।

हरेक चेहरों पर सच्चाई होगी,
दोहरी मानसिकता में लोग न रहेंगे।
सत्य का साम्राज्य होगा,
पराए भी सगे से कम नहीं होंगे।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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