संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6085 0 Hindi :: हिंदी
काश हकीकत में अगर ये दिल खिलौना होता। तो कोई भी सचमुच में कभी भी तोड़ देता। पर दिल _दिल होता है कोई खिलौना तो नहीं:_ अगर सिर्फ़ ऐसा ही रहता तो ये हसी जहां न होता (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....