मोती लाल साहु 25 May 2023 कविताएँ समाजिक अजीब सी मंज़र मेरे क़रीब है, मिट्टी चल रही है- मिट्टी बोल रही है- मिट्टी के रिश्ते-नाते हैं- मिट्टी से एक गड़बड़ी हो गई- जिसने यह चमत्कार किया- उसी का रिश्ता भूल गई। 7398 0 Hindi :: हिंदी
अजीब सी मंज़र मेरे क़रीब है! मिट्टी- चल रही है मिट्टी- बोल रही है मिट्टी- के रिश्ते-नाते हैं मिट्टी से- एक गड़बड़ी हो गई जिसने यह- चमत्कार किया, उसी का रिश्ता भूल गई अजीब सी मंज़र मेरे क़रीब!! -मोती