Ajay kumar suraj 30 Mar 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत #कहानियाँ #कवितायें #गजल #प्यार-मोहब्ब्त #शायरी #आलेख #राजनीतिक #धार्मिक हास्य-व्यंग्य #AJAY-KUMAR-SURAJ 20323 0 Hindi :: हिंदी
मेरी और उसकी पहली मुलाकात एक आधार कार्ड की दुकान पर हुई थी, बहुत अधिक भीड़ में भी उसका स्वरूप मुझे आकर्षित कर रहा था। जबकी वहाँ उससे भी खुबसुरत लोग थे,फिर भी दिल ने तो उसे ही जगह दी पर दिमाग ने नही,जो जीवन मे नही मिलेगी उसके पीछे चाहत कैसी? फिर भी दिल नही माना उसे देखने कि ललक हमेशा बनी रहती थी। जब वो कालेज जाती तो उसे एक पल के लिये ही सही-निहार लेता था,तो गजब का सुकून मिलता था। सन्योग से जिस दुकान पर वो आती थी उस दुकान पर मै उस वक्त कम्प्युटर ओप्रेटिंग करता था। जब वो सामने बैठी थी तो उसे देखने के लिये निगाहे बेचैन थी। जो मीठा सा दर्द और प्यार उसके लिये उठा था जी चाह रहा था कि उसे अपने मन मन्दिर की देवी बना लूँ ।उसे अपनी आंखो मे हमेशा के लिये बसा लूँ सारी तन्हाई सारा दु:ख उसे देखने के बाद मिट सी गयी।मानो दुनियाँ की सारी दौलत हसिल हो गई। वो मेरे एकतरफा प्यार की कल्पना थी किसी शायर की बात याद आ गई ........... इश्क, एक तरफा मे,यूँ मसरूर हो जाउंगा मै। राम,तुम होगे शमा,काफूर हो जाउंगा मै॥ मै तुम्हे देखू तो देखूँ,तुम न मुझको देखना । तुने गर देखा मुझे,तो मशहूर हो जाउंगा मै॥ मै तुम्हे चाहुँ तो चाहूँ,तुम न मुझको चाहना। तुने गर चाहा मुझे,तो मगरूर हो जाउंगा मै। मै अगर मांगू कभी,कुछ न देना तुम मुझे। वरना फिर प्रेमी नही मज़दूर हो जाउंगा मै॥ एक पवित्र प्रेम कि झलक देखी थी हमने, बिना मिले ही एक बडा फैसला कर लिया था कि समाज चाहे या न चाहे मै जाति,धर्म,समाज के बन्धनो के उपर जाकर उसे अपनी अर्धांगिनी के रुप मे स्वीकार करुंगा। क्योकि प्रेम तो ईश्वर का ही रूप है और वह भी तो हर बन्धनो से मुक्त है जो बन्धन से मुक्त हो चाह जहाँ समाप्त हो जाती है करुणा समर्पण का भाव जब दिल मे घर कर लेता है तो उस दिल मे प्रेम के साथ ईश्वर का वास हो जाता है और ईश्वर कि पहचान होते ही उसे अपना बना लेना होता है।उसे अपने मे ही समाहित कर लेते ही फिर सारे भेद मिट जाते है।दोनो एकाकार हो जाते है जो मै हूँ वह तुम हो का भाव आ जाता है फिर मै और तुम मिल कर हम हो जाते है। और जब हम मे मिले तो ऊंच नीच जाति धर्म छोटा बडा का भाव खत्म हो जाता फिर यह बात लागू होती है। ........ कोई भेद रहे न तन मन मे, तुम और मै बस एक ही है। कई दिनो बाद उसका फोन आ ही गया,और स्वयँ उसने प्यार का इज़हार किया।दो दिनो तक हम खूब बात किये मुझे लगा कि बस मेरी दुनियाँ खूबसूरत सी हो गयी सारी मुराद पूरी हो गई सदियो कि तन्हाई खुद किसी तन्हाई मे गुम सी हो गई। अब तो हर शक्ल मे वो ही नज़र आती थी उसकी बात मुझे रामचरित मानस कि चौपाईयो और भागवत गीता के श्लोको से भी सहज सुन्दर लगने लगी थी। प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नो कि जगह अब उसका चेहरा नज़र आता था समसामयिक घटना मे तो बस उसकी कही हुई बाते ही याद रही। इश्क अपनी खुमारी पर आहिस्ता सिर चढ रहा था। दो दिन तक खूब बाते हुई हमारी। अब अपनी बात कहने के लिये किसी और कि बात सुनने के लिये एक प्रेमिका मिल गई थी।जी करता था सारा प्यार उस पर उडेल दूँ । उसकी हर बात मन को गुदगुदाती थी और मुझे हसाती थी वह कभी मुझे आध्यात्म के दुनिया के सैर कराती तो कभी संसार कि भोग विलासिता कि तरफ मोड़ देती। मै जिस दुनिया से वाकिफ नही था वह उस दुनिया की भी बाते बता देती हम दोनो का मिलने का मन हुआ पर अभी मुलाकात न हो पायी थी।अचानक तीसरे ही दिन न ही उसका फोन आया न ही उससे बात हुई मन मे गजब सी बेचैनी थी।न खाने मे मन था,न पढ्ने मे, न ही किसी काम मे फिर चौथा दिन भी बीत गया कोई बात न हुई ,अब जो भी स्वप्न सजाये थे ओ अधूरे से दिख रहे थे ऐसा मालूम हो रहा है कि मानो किसी सुन्दर सी धन धान्य से परिर्पूर्ण बस्ती को कई लुटेरे लूट कर उसे शम्सान मे तब्दील कर गये हो और कइयो का शोक मुझ अकेले को लगा है । उसका नाम सन्ध्या है, और शायद सूरज कि जिन्दगी कि अधूरी कहानी ही थी।क्योकी सूरज और सन्ध्या का मिलन जब प्रकृति ने नही होने दिया तो भाग्य और समाज कैसे होने देते। जब प्रभात मे जीवन ललसा लिये अपनी गुलाबी मादकता के साथ उदय होता है,तो हृदय के सारे आकाश को आपने माधुर्य की सुनहरी किरणो से रंजित कर देता है।फिर मध्यान का ताप उसके सुन्दर सपनो पर उबाल देने लगता है,जब ये आवरण हटता है तब उसे अपने प्रियतमा सन्ध्या की याद आती है,लेकिन प्रकृति एक के आने पर दूजे को अनुपस्थित कर देती है। अब यह खालीपन कब भरेगा,और कब उससे बात होगी ? जब भी होगी तो लिखेंगे हम फिर एक बार अपने इश्क की दास्ताँ धन्यवाद कहानी संकलन अजय कुमार सूरज