Chanchal chauhan 22 Feb 2024 कविताएँ बाल-साहित्य तू इंसान है भगवान नहीं गिर उठ दौड़ भाग क्योंकि उठकर चलने में ही जीत है 7731 0 Hindi :: हिंदी
उठाना गिरना प्राकृतिक स्वभाव है जैसे सुबह ओस गिरती है दोपहर में धूप गिरती है शाम को छांव गिरती है इस तरह जीवन में गिरने उठने का क्रम अनवरत जारी है सभी लोग गिरते हैं जीवन में अनेक बार पर कुछ बहुत ऊपर उठ जाते हैं और कुछ वहीं पर रह जाते हैं और कुछ उठने का उपक्रम करते है कुछ भी हो जिंदगी में सिर्फ गिरावट नहीं आनी चाहिए गिरकर उठने में काहे की शर्म और काहे का भय माना कि जिंदगी में गिरावट का दौर ज्यादा है पर उठने को किसने रोका है अरे वह तो उठ गया जो फिसल कर गिरा था पर वह ना उठ पाया जो कर्म से गिर गया था पर वह भी ना उठ पाया जो मन से गिर गया था तेरे गिरने में तेरी हार नहीं तू इंसान है अवतार नहीं गिर कर उठ, चल, दौड़ फिर भाग क्योंकि उठने में ही जीत है ।