कुमार किशन कीर्ति 08 Jun 2023 कविताएँ दुःखद समझ,इश्क़,अफवाहों,मुकम्मल 8143 0 Hindi :: हिंदी
काश!तुम समझ पाती! मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती। कितना अच्छा होता, जब हम-तुम एक होते। तब,अधूरे इश्क़ मुकम्मल होते। काश!तुम समझ पाती! मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती। सारे शिकवे फिर दूर होते, मगर, तुम अफवाहों में आ गई। सच्ची मोहब्बत समझ ना पाई। गर तुम ऐसा नहीं करती, फिर मेरी मोहब्बत को तुम पा लेती। काश!तुम समझ पाती! मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती।