Santosh kumar koli 19 Jun 2023 कविताएँ समाजिक खोया- पाया 5956 0 Hindi :: हिंदी
चांद पाने के चक्कर में, लाखों सितारे खो गए। अहम् पाने के चक्कर में, हम वह हमारे खो गए। सिद्धि पाने के चक्कर में, पूरा जीवन खो गया। समझदारी के चक्कर में, खीवन का मन खो गया। जागीर पाने के चक्कर में, जमीर खो गया। कबीर के चक्कर में, सग़ीर खो गया। ग़ैरों के चक्कर में, अपने खो गए। अपनों के चक्कर में, सपने को गए। सूरज पाने के चक्कर में, सारा आसमान खो गया। शबनम मोती के चक्कर में, सारा जहान खो गया। सब पाने के चक्कर में, सब खो गया। कल पाने के चक्कर में, अब हो गया।