बाण की तरह ही दर्दनाक है
आग की तरह जलने का है
एक बार ऐसे भी होंगे कि
चंदन की शीतलता और
चांद के आलोक में भरा आकाश में
उड़ गए पक्षी की पंखों की आवाज
गर्मी में किसानोंके आवास पर आयोजित खेती से
उड़ गए पक्का फसल के नीचे गिरे नादं
पंछियों की नीडो से अनजान में फिसल गई दानों की आवाज
फिर एकदम एहसास हुआ कि हवा में हिलने फूल
एक सुबह खिले हुए और महक फैलने की तरह
हर्ष से वर्षा ऋतु में गिर गिरने बूंदों की बरसाने की नादलय
मृदुला तरलिता मोहिनी और करालध्वसिनी भी है
अपनी जान समर्पित आप के लिए
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