नीतू सिंह वसुंधरा 19 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक Nitu Singh Hindi Kavita beti per kavita 36268 0 Hindi :: हिंदी
बेटी बेटी हूं मैं इसलिए पराई हूं। एक बार सोचो जरा, एक बार सोचो जरा मैं क्या हुआ जो पराई हूं। मैं आप ही के अंश से आई हूं। क्यों दिया जन्म मुझे जब, पराया ही करना था। क्यों दिया जन्म मुझे जब अपना ना कहना था। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं आपकी हूं अपना ही कहना चाहिए। मुझे भी अपना अधिकार चाहिए। मुझे भी अपने हिस्से का प्यार चाहिए। भीख समझ के ही दे दो, पर मुझे भी थोड़ा प्यार दे दो। आपकी अपनी ही हूं, मुझे भी अपने चरण उधार दे दो। मुझे भीअधिकार दे दो, मुझे भी सम्मान दे दो, थोड़ा सा प्यार दे दो, थोड़ा सा सत्कार दे दो, मुझे भी अपना नाम दे दो, मुझे भी अधिकार दे दो, मुझे भी अपना थोड़ा सा प्यार दे दो। ना दिया मां ने सहारा, ना किया बाप ने गुजरा। क्योंकि बेटी हूं मैं, मेरा बेटी होना ही किया, मेरी जिंदगी में अंधेरा। जब रुलाते हैं लड़के, तब साथ देके हंसती हैं लड़कियां। मां बाप के लिए सब कर जाते हैं लड़कियां। फिर भी मजबूर है वे, क्योंकि दुनिया में बनके आई वे बेटियां। लड़के करे वाह वाई, लड़कियां करें तो क्यों दुनिया में आई। लड़कियों की गलती कसूर और लड़कों की फितूर। ए खुदा कर दे लड़कियों को इस दुनिया से दूर। लड़के करे तो सब चलता है । लड़कियां करें तो दोस्त उनका है। ऐ खुदा ये, कैसा इंसाफ है। लड़के ताज है सर का ,और लड़कियां बोझ है सर का। माना मैं पराई हूं, लेकिन कोख से तेरे ही आई हूं। ना दिया सम्मान मुझे,ना किया प्यार मुझे। क्योंकि मैं दुनिया में लड़की बन कर आई हूं। ये कसूर मेरा नहीं, ये तो उसे खुद का है। काश तू समझ पाए, बोझ नहीं हूं मैं। मांगी है बस यही दुआ खुदा से। दिन आज भी याद है मुझे, जिंदगी मांगी थी मैंने क्या खूब ता था तेरा इंसाफ , छीन ली तूने मेरी सांस। बेटी हूं मैं इसलिए पराई हूं। एक बार सोचो जरा, एक बार सोचो जरा।