सरफिरा लेखक 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद बेटी और मा की वार्ता 56204 0 Hindi :: हिंदी
मार गिराई जालिमों ने मैं चंद उम्र की बेटी थी कभी खेलती आंगन में कभी आंचल में लेटी थी। क्यों मार गिराए मुझे बस इतना बता दो इज्जत क्यों लूटी मेरी जब तेरे घर भी बेटी थी। 😭😭 खुश थी में अपने घर में कभी नाचती मुस्कुराती थी होकर तैयार सुबह को मैं रोज स्कूल जाती थी। खिलखिलाते थे सपने मेरे सपनों में मां समाई थी मां का ह्रदय फट गया बिन बादल आसमान गरज गया जब मेरी लाश मेरे आंगन में आई थी 😭😭 इतना तो रहम किया होता रेप कर के मुझे जिंदा छोड़ दिया होता आंखों का तारा थी मैं आंगन का उजियारा थी मैं जैसी थी जिंदा रहती मां की इज्जत पिता की चेहती थी इज्जत क्यों लूटी जब तेरे घर भी बेटी थी 😭😭😭 मार दिया इसका गम नहीं मुझे गम है तो इस बात का मां का आंचल खाली रह गया मेरे बाद मां की रोटी कौन बनाएगा भागकर पिता को रोटी कौन खिलाएगा भैया भैया कहने वाली मै भैया छोड़ चली हूं राखी खुद बांध लेना मैं राखी छोड़ चली हूं 😭😭 मेरी चीख सुनकर भारत मा भी रोई है कहां गए देवी देवता जिनकी करती पूजा रोज थी ये आज खुश बहुत होंगे एक और बेटी रेप की शिकार हुई है 😭😭 मेरी पुकार क्या किसी ने सुनी नहीं होगी जिस देवी के करें 9 व्रत मैने मेरी चीख सुनी नहीं होगी धिक्कार है उस देवी पर जो पत्थर से सजाई होगी एक बेटी ऐसी बता दो जो रेप से देवी ने बचाई होगी 😭😭 चीख निकल निकल कर मर रही थी मां पिता की तस्वीर आंखों से ओझल हो रही थी सोचा था मा से कल खीर बनाऊंगी मा के हाथो से उस को खाऊंगी यही सोच कर सुबह को उठी थी इज्जत क्यों लुटी मेरी जब तेरे घर भी बेटी थी 😭😭 बस मेरा दोष ही इतना था कि मै एक बेटी थी जीने नहीं दिया मुझ को एक कपड़े मेे समेठी थी हड्डी तक तोड़ी मेरी मेरी चीख पर तरस ना आया खीर खाने से पहले मेरा गला दबाया मेरे शरीर की एक एक हड्डी रक टूटी थी इज्जत क्यों लूटी मेरी जब तेरे घर भी बेटी थी 😭😭 मा ने बेटी को देख कर क्या कहा होगा 😭😭😭 आंगन में लेटी थी मेरी बेटी दुनिया छोड़कर धीरे-धीरे डरती डरती पहुंची मुंह मोड़कर ह्रदय मेरा फट गया था आंसू धारा से कपड़ा भर गया था देखा मैने मेरी बेटी लेटी थी कपड़े मेे सिमट कर मैने आवाज दी उठ मेरी बेटी मेरे बाल खोल दे देख आंसू की धारा तुझ पे टपक रही सुन ले तेरी मा तुझ से क्या बोल रही रखी किताब तेरी यहां उठ खड़ी हो लेकर हाथ मेे फिर इन्हे पढ कर बोल दे मर जाएगी मा तेरी एक बार आंखे खोल दे भागकर मेरे पास कहने वाली मा मा एक बार फिर मा बोल दे देख सजा है तेरी गुड़ियों का घर देख लगा है टीका उस पर देख तेरा खिलौना खाली पड़ा है साड़ी सजाती थी तू जिस पर कैसे बन जाऊ फिर मा जिस की बेटी कपड़े मेे सिमटी थी इज्जत क्यों लूटी जब तेरे घर भी बेटी थी सरफिरा लेखक की कलम से✍️✍️😭😭😭😭😭😭