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एकता में ही सुनहरा कल है

Trilok Chand Jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक एकता 13884 0 Hindi :: हिंदी

अस्तित्व तो बूंद का भी होता है
एक तिनका भी अपनी कहानी कहता है
कीमत तो एक सेकंड की भी रही है
एक बीज में भी तो संभावनाएं कम नहीं है

पर यह भी तो सुना होगा
अनेक बूंदों का समन्वय महासागर का विरुद पाता
तिनकों से बना घोंसला आश्रय स्थल कहलाता
इतिहास एक युग का ही तो बनता है
बीजों के फना होने से खलिहान खिलता है

एक, एक है और न ही किसी से कम है
पर यह भी सच है कि एकता में दम है
बाधाएं आती नहीं अथवा कमजोर पड़ जाती हैं
कदम मिलाकर चलने से मंजिलें झुक जाती हैं

अकेले दाने यत्र-तत्र-सर्वत्र बिखर रहे
अहं के वहम् से अपनी वास्तविक कीमत खो रहे
अकेले को परेशानी महाकाय नज़र दिखती
जब साथ हो संगी तो वही सूक्ष्मता को वरती

साथ चलो, साथ ले के चलो, व्यक्तित्व निखर जायेगा
एकता से संभवतः हर समस्या का हल निकल आयेगा

देह से अकेले रहने पर भी विचारों का समन्वय करो
सब मेरे हैं, मेरे समान हैं, इन भावों को अन्तर धरो

एकता में बल है, एकता में हल है,
एकता में संबल है, एकता में ही सुनहरा कल है

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