संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5907 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) राजा हो या रंक हो,करिए कभी न अत्य। दुख से बचे न राम जी, जीवन का यह सत्य।। दुख से बचे न राम जी,जीवन का यह फेर। मिले खुशी हर हाल में,करिए कभी न देर।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....