कुमार किशन कीर्ति 04 Aug 2023 कविताएँ समाजिक पिता,कुटुंब 11437 0 Hindi :: हिंदी
एक वृक्ष की तरह होते हैं पिता। विघ्न_बाधा को झेलकर, कुटुंब को पालते हैं पिता। सारी समस्याओं को सुलझाकर, चेहरे पर हंसी लाते हैं पिता। अपनी अभिलाषाओं को दबाकर, संतानों की खुशियां चाहते हैं पिता। पिता का कुटुंब ही उसका सारा संसार है। उसी संसार में अपना, प्रेम समर्पित कर देते हैं पिता।