Divya Kumari 19 Mar 2024 कविताएँ धार्मिक 3636 0 Hindi :: हिंदी
खुद कैसा होगा उसका आकर विकार व्यवहार कैसा होगा जिसकी प्रतिमा इतनी सुंदर हैं वो खुद कितना सुंदर होगा मोहित जिसको देख कर कामदेव थे हुए इंद्र भी जिनके पग में नतमस्तक थे हुए राधा रुकमिनि जिनपे मोहित थी मखांण चुराने पर माँ यशोदा होती क्रोधित थी उसकी कर्ण उसकी नयन कैसा होगा जिसकी प्रतिमा इतनी सुंदर हैं वो खुद कितना सुंदर होगा जिसके संग नृत्य को महादेव धरा पर आए थे जनम समय जिनके चरण छूने को यमुना मचलायी थी जिसने अपने धुन पर कालिया नाग नाथा था जो बाल स्वरूप में पूतना आका बका सुर को मारा था उसकी बंशी उसके धुन कैसा होगा जिसकी प्रतिमा इतनी सुंदर हैं वो खुद कितना सुंदर होगा जो सार्थी हुए अर्जुन के जो ज्ञानर्थि हुए गीता के जो मीरा के गोपाल गिरधर हैं जो द्रौपदी के श्री धर हैं जिनकी दया दृष्टि ऐसी हैं उनकी करुणा होगी कैसी उनके हस्थ उनके पग कैसा होगा जिसकी प्रतिमा इतनी सुंदर हैं वो खुद कितना सुंदर होगा जो मारे हजारों प्रवल को क्या उनकी भी मृत्यु भी सरल हो जो बान उनसे थे जो पग उनकी थी उनकी मृत्यु उसकी लीला भी उनकी थी ये जमी ये धरा ये ब्रह्मांड भी उनकी हैं फिर भी बने वामन देवों के लिए जिये सद्देव भक्तों के लिए उनकी श्रधा उनकी भक्ति कैसा होगा जिसकी प्रतिमा इतनी सुंदर हैं वो खुद कितना सुंदर होगा