Trilok Chand Jain 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Problems 15825 0 Hindi :: हिंदी
समस्याओं ने आने का हुजूम लगा रखा है पर मैंने भी तो सुलझाने का जुनून जगा रखा है आओ, आ जाओ मुझसा मेहरबां कोई नहीं होगा तुम पर ये मेरा एहसान रहेगा, जिंदगी भर तुम पर तुम्हारा आना, मुझे सताना नहीं मुझे सिखाना है, दृढ़ता का पाठ पढ़ाना है आज खड़ा हूं अपने पैरों पर नजरें उन्मुक्त आकाश की ओर है तुम्हारा ही तो आलंबन है जो खिल रही सुहानी भोर है बस अर्जी है इतनी-सी कि, विकराल रूप मत ले आना जिससे यह पुराना मित्र तेरा तुझसे बिछड़ जाए और तुझे कभी बुलाने की मिन्नत भी नहीं कर पाए सहज आना और सहज सुलझ जाना ये ही अपना स्वभाव निभाना तुझे सुलझाने से जो संतोष मिलता है उस आनंद की दायक तुम ही तो हो मेरी गति में पंख लगाने वाली तुम ही तो हो मैं तुमसे घबराता नहीं, तुमको अपनाता हूं बस थोड़ी सी सहूलियत तुमसे चाहता हूं कुछ पल तुम्हारे बिना, जीने के मुझे दे देना ताकि जान सकूं, कैसा होता है तुम्हारे बिन जीना।
Working Editor of Swadhyay Shiksha Magazine. Jainism teacher. Running Ph.D in Jain Jeevan Paddhat...