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प्रेम परमात्मा

Ashok prihar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google/yahoo/bing 96420 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम सु जिंदगी, प्रेम मे राम !
प्रेम ही जिंदगी के सब सुखों का नाम!!
मिले सतगुरु इतना !
प्रेम में रहे उतना!!
ऐसा भाग मेरा, सतगुरु मिले राम!
प्रेम दीन-दयाला, प्रेम सु हुए काम!!
केहत 'अशु'प्रेम वो मीठी बोली
जिस में रहकर होए बिगड़े काम!
जिंदगी का सत्य नाम प्रेम नाम!!
विशेष:-
           मैंने इसमें अपने आपको'अशु' कहकर संबोधित किया है!
व्याख्या:-
              अपने भौतिक सुखों को त्याग कर अर्थात माया को त्याग कर या फिर सांसारिक जीवन में लोगों की गलतियों को छोड़कर उनमें प्रेम ढूंढे व्यक्ति! तो उसे परमात्मा अर्थात राम का मार्ग मिल सकता है तथा उसका सांसारिक जीवन सुखमय बित सकता है! और परमेश्वर का कहना भी है !जा 'प्रेम' है वाह 'मैं' हूं और जा प्रेम है वाह जिंदगी का स्वर्ग है! और प्रेम के बिना कोई भी काम असंभव है अर्थात वह काम कभी सही तरीके से नहीं हो सकता जो प्रेम से नहीं किया हो! ,भले ही आप के गुरु आप को डांटते हैं मगर उनको डांटने में भी आपका प्रेम छुपा है! 
और मुझे तो ऐसे ही गुरु प्यारे हैं जो मेरी कमियों को ढूंढ कर मुझे डांट कर सुधार करने को कहें ! जिससे उनका प्यार मेरे जीवन में अमर रहे!
और जब मैं अपनी गलतियों को सुधार लूंगा
तथा जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लूंगा तो मुझे अपने गुरु में 'राम' अर्थात् परमात्मा नजर आएंगे! जिन्होंने मेरे जीवन को सही मार्ग दिया 
और मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आपके शत्रु से भी कटु शत्रुता हो तो भी उनसे प्यार से बात करनी चाहिए ताकि उनको आप के प्रति कहीं ना कहीं प्रेम नजर आए!  और मैं अर्थात 'अशु' कहता हूं कि प्रेम से बोलने पर आपके हर बिगड़ा काम हो जाता है! भाई जिंदगी में 'सत्य' हैं तो वह प्रेमी ही है और कुछ नहीं है!


मनुष्य कितना भी कठोर अर्थात खराब हो मगर उसका हृदय और आपका हृदय हमेशा मिलता है स्वाभाविक बात है कि परमात्मा ने सब को एक समान बनाया है
बात रही विवेक की तो वह सब के पास समान रूप से हैं  मगर समान रूप से लोग इस्तेमाल नहीं करते
अगर शरीर से विकलांग ता है तो
शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों से भी आगे निकला जा सकता है  बस विवेक का सही इस्तेमाल करना पड़ेगा। 
उदाहरण के लिए:-
                         स्टीफन हॉकिंग

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